Kharna Chhath Puja Kharna Wishes Kharna Kya hai. Is Post Me Kharana Wishes, Kharna Kaise Manate Hain. Prasad Kaise Banate Hain. Kin-Kin Chijon ka Dhyan Rakhana Chahye. Kharna Status, Kharna Shayari photo, Aadi Aapako Milenge.
इस पोस्ट में खरना विशेज, खरना कैसे मनाते हैं। प्रसाद कैसे बनाते हैं। किन किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए। खरना स्टेटस, खरना शायरी फोटो, आदि आपको मिलेंगे।
Kharna Chhath Puja Kharna Wishes Kharna Kya hai
2022 में 28 अक्टूबर को नहाय-खाय यानी kaddu Bhat से छठ व्रत का आरंभ होगा। अगले दिन 29 अक्टूबर को खरना किया जाएगा। 30 अक्टूबर षष्ठी तिथि को मुख्य #छठ पूजन किया जाएगा जिसमे डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाएगा। तथा 31 अक्टूबर सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ दिया जाएगा। और पारण किया जाएगा।
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना पहला दिन छठ पूजा का नहाए खाए होता है। जिसे कद्दू भात भी बोला जाता है। और दूसरे दिन छठ पूजा का व्रत जिसमें की खरना। तो आगे हम जानते हैं कि खरना कि क्या-क्या विधियां है। दोस्तों खरना में जो व्रती होती हैं वह एक नए घर में या जिसके पास पुराना घर ही है।
तो उस घर को पहले से ही धो कर साफ किया जाता है। यदि पक्के मकान हो तो उनमें पानी से पूरे घर को साफ किया जाता है। और उस घर में किसी को भी आने जाने की इजाजत नहीं होती है। पहले से कोई भी चप्पल पहनकर या इस तरह की कोई भी पूजा पाठ के विरुद्ध एक्टिविटी नहीं की जाती है।
उस घर को साफ किया जाता है और उस घर में बच्चों की आवाजाही रोक दी जाती है। और जो भी व्रती होती है। कद्दू भात का भी जो पूजा सामग्री होती है जैसे कद्दू हो गया आदि वह सभी उसी घर में रखे जाते हैं। वह घर छठ पूजा के एक-दो दिन पहले तक आपको पूरा क्लियर कर लेना है साफ कर लेना है।
Kharna Chhath Puja
ताकि आप उसमें पूजा पाठ का सामान रख सके। और दूसरे दिन खरना का दिन भी जो भी सामान उस दिन आएगा या उससे पहले आप छठ पूजा के व्रत के लिए जो भी सामान लाएंगे उसी घर में रखी जाती है। और प्रारंभ होता है खरना। खरना में व्रती सूर्यास्त से पहले पूजा कर ती हैं।
और रात में खरना का सामग्री बनाया जाता है पर सर्वप्रथम उसी घर में मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है। अगर फर्स मिट्टी का हो तो वहीं पर गड्ढा करके एक चूल्हा बनाया जाता है। यदि फर्श बना हो तो उस स्थिति में चूल्हे को आप अलग जगह पर बनाकर नियम के साथ।
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Chhath Puja |
या कोई ऐसी चीज ना हो जिसे व्रत में बाधा हो तो आपको पूरे साफ-सफाई के साथ दूसरे जगह पर दूल्हा बनाना है। चूल्हा बनाने के बाद जब चूल्हा सूख जाता है। तो उसी घर में चूल्हा को रखकर रत के वक्त पूजा की जाती है। सूर्यास्त से पहले सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है।
Kharna Kya hai
और उसके बाद रात के समय प्रसाद बनते हैं। जिसमें की शुद्ध दूध का उसमें पानी का उपयोग नहीं किया जाता है खीर बनता है। दूध का खीर और उस खीर में गुड़ डाला जाता है। चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। और ध्यान रखने वाली बात होती है कि आपको गुड बाद में डालना है खीर में ताकि दूध ना फटे।
इसके बाद फल चढ़ाए जाते हैं जितने फल आपको मार्केट में उपलब्ध हो। खरना के दिन चढ़ा सकते हैं। या कम से कम 5 फल होने चाहिए। और उसमें आप जितने ज्यादा फल जुटा पाएं वह आपकी खुशी पर डिपेंड करता है। और खरना में रोटी बनती है इसमें पूरी आदि का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए रोटी बनाई जाती है गाय के घी में।
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Happy Chhath puja |
और यह रोटी इस प्रकार से बनता है जिसे आप दोस्ती कहते हैं। दोनों को जोड़कर जो बनती है आप रोटी बेल के रोटी को जोड़कर दोस्ती बनाते है। जिसे कहते हैं देसी भाषा में दोस्ती बोला जाता है। या आप रोटी बनाए तो उसमें घी लगा दे। क्योंकि खरना का जो व्रत होता है इसमें सूखी रोटी नहीं चढ़ाये जाते। इसलिए दोस्ती बनाती हैं।
Chhath Puja Kharna Khir Banana
और जो भी दूध मिले उसमें बिना पानी मिलाये खीर बनता है। और अरवा चावल खीर में उपयोग में लिया जाता है। प्रत्येक कार्य इस व्रत के चाहे बनाना हो, खरना हो, या कद्दू भात हो, या
छठ का कोई भी कार्य हो पूरे नियम के साथ किया जाता है। बच्चों को पूजा वाले घर से दूर रखा जाता है। बच्चों को उस घर जाने की अनुमति नहीं होती है।
और साफ सफाई का भी ध्यान रखना होता है। खरना में रोटी/दोस्ती, खीर आदि सब कुछ बना के। जैसे कि अरवा चावल और गुड़ के साथ खीर बनता है। दोस्ती बनती है। रोटी की एवं इसे चढ़ाया जाता है। और इसमें पांच फल का भी चढ़ाने का नियम है। और साथ ही जो व्रती होती हैं।
खरना के दिन से ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं। अपने मन को शुद्ध करके जमीन पर होती है उसी पूजा घर में। तो खरना में इतनी चीजें बनाकर उसे चढ़ाया जाता है। और घर को पूरी तरह से लॉक करके चढ़ाया जाता है। उस वक्त कोई भी नहीं आता है उस घर में। और उस वक्त जब प्रसाद चढ़ा रही होती हैं।
Chhath Puja Kharna Wishes Images
तो नई साड़ी पहनती हैं और एक बात ध्यान रखें कि साड़ी या व्रती का जो भी वस्त्र होगा। उसमें काले रंग का वस्त्र का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। काला वस्त्र पहनने का नियम नहीं है। और व्रती चूड़ी भी पहनती हैं लाहठी की और यदि ना मिले तो कांच की भी चूड़ी पहन सकती हैं।
व्रती सज धज के चूड़ी पहन के, साड़ी पहन के जो भी वस्त्र होता है वह पहन के और जो भी वस्त्र पहनती हैं। वह सारे वस्त्र नयी होती है। पूजा पर बैठती हैं खुद से प्रसाद बनाती हैं। खरना का जो भी सामान होता है जो भी प्रसाद बनता है वह खुद बनाते हैं। उसमें किसी और का सहारा नहीं लेना चाहिए।
थोड़ा बहुत ले सकती हैं। परंतु प्रसाद खुद से बनाना पड़ता है। उसके बाद सब कुछ बना कर पूजा पर बैठती है नए वस्त्र आदि पहन कर पूजा करती है। और रात के समय घर को बंद किया जाता है और पूजा किया जाता है। पूजा के उपरांत जो भी चीज चढ़ाई जाती है वह आस पड़ोस में
अपने घर के बच्चों में, बांटा जाता है। सभी कोई प्रसाद के रूप में उसे खाते हैं। सभी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। खरना का भी बहुत ही नियम के साथ पालन किया जाता है।
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