Bhakti Aur Niti Ke Kavi Rahim भक्ति और नीति के कवि रहीम या रहीम के एक-दो दोहों के भाव. Ans. The main theme of medieval poet Rahim's poetry is an adornment, policy, and devotion. They are counted among the poets of Krishna. Rahim had got a devout heart. His
the devotional couplet is a real representation of his person and creator. It is said that his friend Tulsi composed the 'Barwai Ramayana', excited by Rahim Barwai poetry. It is possible with Rahim when 'Siyan Ki Bani' does not stop with the mind
Bhakti Aur Niti Ke Kavi Rahim भक्ति और नीति के कवि रहीम या रहीम के एक-दो दोहों के भाव
Ans. मध्ययुगीन कवि रहीम के काव्य का मुख्य विषय श्रृंगार, नीति और भक्ति है। इनकी गणना कृष्णभक्त कवियों में की जाती है। रहीम को भक्त हृदय मिला था। उनके भक्ति-परक दोहे उनके व्यक्ति और रचनाकार का वास्तविक प्रतिनिधित्व करते हैं। कहते हैं, उनके मित्र तुलसी ने 'बरवै रामायण' की रचना रहीम बरवै काव्य से उत्साहित होकर की। रहीम के यहाँ संभव है जब चित्त से 'स्याम की बानि' न टरे
"अनुदिन श्री वृन्दावन ब्रज ते आवन जानि।
अब ‘रहीम' चित्त ते न टराते है सकल स्याम की बानि।।" यही है सिन्धु का बिन्दु में समाना। इस माने में वे सूर के भी बटाईदार हैं। जब वे कहते हैं कि श्याम के चन्द्रमुख को आमने-सामने देखने के लिए साध लेकर मरना ही बदा रहता है। ओट करते हैं तो रहा नहीं जाता और मिलने में ही सनातन विरह की बाधा बनी रहती है। इस विरह की बाधा को शब्दों में कैसे उतारें।
रहीम के नीतिपरक दोहे ज्यादा प्रचलित , जिनमें दैनिक जीवन के दृष्टांत देकर कवि ने उन्हें सहज, सरल और बोधगम्य बना दिया है। ये दोहे जहाँ एक ओर पाठक को औरों के साथ कैसा बरताव करना चाहिए, उसकी शिक्षा देते हैं, वहीं मानव-मात्र को करणीय और अकरणीय आचरण की भी नसीहत देते हैं। मुक्ता का हार यदि टूट जाता है तो फिर-फिर उसे पोहना चाहिए, मानव-मूल्यों से लगाव छूट जाता है तो फिर-फिर जोड़ना चाहिए। रहीम इसी जुड़ाव के कवि हैं
"टूटे सुजन मनाइये,जो टूटे सौ बार। रहिमन फिर-फिर पोहिये, टूटे मुक्ताहार।।" अंत में, रहीम के भक्ति और नीति के दोहे आज भी लोगों की जुबान पर है।
Comments