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Mahadevi Verma महादेवी वर्मा

Mahadevi Verma महादेवी वर्मा. Hundreds of years after Meera, Mahadevi Varma is a strong female voice recited in poetry. But, like Meera, the presence of spirituality or God is not in his poetry.

The transfer of love, loving affection, and compassion in compassion are in his poetry. His poetry is full of uninterrupted longing to live life.

Mahadevi Verma महादेवी वर्मा

Mahadevi Verma महादेवी वर्मा

Ans. मीरा के सैकड़ों वर्षों बाद महादेवी वर्मा कविता में सुनाई पड़नेवाला प्रखर स्त्री स्वर हैं। पर, मीरा की तरह अध्यात्म या ईश्वर की उपस्थिति इनके काव्य में नहीं है। प्रेम, प्रेमजन्य वेदना तथा वेदना का करूणा में अंतरण इनकी कविता में है। इनके काव्य में जीवन जीने की अबाध लालसा भरी हुई है। रामविलास शर्मा ने अपने एक निबंध में महादेवी की काव्य पंक्ति, 'रात के उर में दिवस की चाह का शर हूँ' 

उद्धृत करते हुए लिखा है, "निराला को छोड़कर किसी भी छायावादी कवि में जीवन की इतनी चाह नहीं है, जितनी महादेवी में। निराशावाद की अंधेरी रात में जीवन-प्रभात की वह चाह महादेवी की रचनाओं में बार-बार दीप्त हो उठती है।

महादेवी के गीतों में मीरा की तरह विषय-वैविध्य नहीं है, पर इससे इनका महत्व कम नहीं हो जाता। इनके शब्दों, शब्दों के अंतराल, और लय संगीत में समायी मौन ऊर्जा अपने प्रभाव में कहीं अधिक मुखर है। छायावाद के अवसान के साथ महादेवी कविता के क्षेत्र में एक तरह से स्थाई मोन साध लेती है।

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