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Smkalin Aaj Ki Kavita, Contemporary (today's) poem, समकालीन (आज की) कविता

Smkalin Aaj Ki Kavita, Contemporary (today's) poem, समकालीन (आज की) कविता. After the new poetry movement many small and big poetry movements were organized and new names called poetry, such as Yuyotsavist poetry, Akavita, etc. But no movement managed to create an independent form of poetry and did not live long.

Samkalin Aaj Ki Kavita, Contemporary (today's) poem, समकालीन (आज की) कविता

Smkalin Aaj Ki Kavita, Contemporary (today's) poem, समकालीन (आज की) कविता

समकालीन (आज की) कविता 

_Ans. नई कविता-आंदोलन के बाद कई छोटे-बड़े काव्यांदोलन चलाए गए और नए-नए नामों से कविता को पुकारा गया, जैसे युयुत्सावादी कविता, अकविता आदि किंतु कोई भी आंदोलन कविता का स्वतंत्र स्वरूप गढ़ने में कामयाब नहीं हुआ और दीर्घजीवी भी नहीं रहा।

आज हिंदी में ढेर सारी कविताएँ लिखी जा रही हैं और अच्छी कविताएँ भी लिखी जा रही हैं। किंतु आज का कवि किसी विशेष वाद से बँधा हुआ नहीं है। कविता की एक जनवादी धारा अवश्य है, किंतु वह भी आज की कविता की कई-कई धाराओं में से एक है।

आज की कविता के लिए कोई विषय अछूता नहीं है। मामूली से मामूली विषय पर भी प्रभावशाली कविताएँ लिखी जा रही हैं। वस्तुतः आज की कविता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं-विषय-वैविध्य तथा मामूलीपन के भीतर की असाधारणता।

भाषा के स्तर पर आज की कविता में बातचीत की सहजता या वार्तालाप की लय का होना महत्वपूर्ण है। आज के कवि की प्रतिबद्धता भावों की अभिव्यक्ति के प्रति है। आज की कविता में.छंदों की वापसी भी हुई है। नई कविता के दौर में नवगीत आंदोलन चला था और तब शंभूनाथ सिंह, नईम, वीरेन्द्र मिश्र, उमाकांत मालवीय, माहेश्वर, रमानाथ अवस्थी जैसे अनेक गीतकार सक्रिय थे।

आज फिर गीतों को प्रतिष्ठा मिली है। यों तो भारतेंदु, निराला, जानकी वल्लभ शास्त्री तक ने गजलें लिखी हैं किंतु दुष्यंत कुमार के गजल-संग्रह 'साये में धूप' की सफलता के बाद हिंदी में गजल करने वाले कवियों की संख्या काफी बढ़ी है। दुष्यंत कुमार के एक शेर पर ध्यान दीजिए

Smkalin Aaj Ki Kavita, Contemporary (today's) poem, समकालीन (आज की) कविता

कोई हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। 
प्रयोगवादी दौर के कवियों में रघुवीर सहाय, कुँवर नारायण आदि को आज की कविता में सम्मान की दृष्टि से देखा गया। समकालीन कवियों की सूची लंबी है, किंतु धूमिल, अशोक वाजपेयी, भगवत रावत, ज्ञानेंद्रपति, राजेश जोशी, स्वप्निल श्रीवास्तव, गीतकार यश मालवीय

अनामिका, गोरख पांडेय, अरूण कमल आदि महत्वपूर्ण हैं। आज के कवियों में व्यंग्य-स्वर की भी प्रधानता मिलती है। तद्भव शब्दों की प्रधानता वाली भाषा के प्रति आज के कवि आग्रही हैं।.. यत्र-तत्र सपाटबयानी भी दिखती है। कविता की भाषा का मुहावरा तय करने का श्रेय प्रायः धूमिल और रघुवीर सहाय को दिया जाता है। इस संदर्भ में धूमिल की कुछ पंक्ति देखिए :


एक आदमी है जो रोटी बेलता है एक आदमी है जो रोटी खाता है। एक तीसरा आदमी और है जो न रोटी बेलता है न खाता है वह रोटी से खेलता है मैं पूछता हूँ यह तीसरा आदमी कौन है?
मेरे देश का संसद इस पर मौन है। आज की कविता संकलनों और पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से हर दिन सामने रही है।

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