Skip to main content

Pragati Ke path par Bihar par Nibandh Likhiye || प्रगति के पथ पर बिहार पर निबंध लिखें || write essay on Bihar on the path of progress

Pragati Ke path par Bihar par Nibandh Likhiye || प्रगति के पथ पर बिहार पर निबंध लिखें || write essay on Bihar on the path of progress. प्रगति के पथ पर बिहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बिहार का योगदान अविस्मरणीय रहा है। किन्तु स्वतंत्रता के उपरांत बिहार को जातिवाद और ऊँच-नीच की भावना ने ले डूबा। बचा-खुचा विनाश श्री लालू यादव एवं राबड़ी देवी के शासन में हुआ और बिहार लालटेन युग में पुनः आ गया। किन्तु, सन् 2006 के बाद से अबतक नीतीश कुमार के आने से जनता में नयी आशा की किरण जगी है

pragati-ke-path-par-bihar-par-nibandh
pragati-ke-path-par-bihar-par-nibandh

और बिहार का विकास हो रहा है। बिहार का कल क्षेत्रफल 99,220 वर्ग किलोमीटर है। इसकी राजधानी पटना है। हिन्दी, उर्दू, संथाली, बंगला, उड़िया आदि यहाँ की मुख्य भाषायें हैं। बिहार का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। बिहार की इसी पावन धरती पर भगवान बुद्ध का आविर्भाव हुआ। प्राचीन काल से ही बिहार शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है। आज बिहार प्रगति के पथ पर चल रहा है। बिहार के पुनर्निर्माण के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार अनेक योजनाओं पर काम कर रही है। 

Pragati Ke path par Bihar par Nibandh Likhiye

राज्य में सड़कों की स्थिति को और बेहतर बनाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं। यहाँ खनिज संपदा की कमी नहीं है। राज्य सरकार उनके खनन और उनके उचित उपयोग पर कार्य कर रही है। जहाँ बाढ़ आने पर भयानक तबाही उत्पन्न होती है, वहाँ बांध बनाने का कार्य किया जा रहा है। सभी को मालूम है कि कोशी में आये बाढ़ ने वहाँ के क्षेत्रों पर भयानक तबाही मचायी थी। बिहार सरकार ने इसे बहुत गम्भीरता से लिया तथा इसके लिए आवश्यक कार्य प्रगति पर है।

इतना ही नहीं बिहार में कृषि के क्षेत्र में भी प्रगति के लिए सरकार कई योजनाओं को शुरू कर चुकी है। किसानों को उन्नत बीज, खाद तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं को उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि उत्पादन बढ़ सके। इसके साथ-साथ सरकार द्वारा गाँवों में समय-समय पर विभिन्न सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। इन सभाओं में कृषि वैज्ञानिक किसानों की विभिन्न समस्याओं का समाधान करते हैं।

प्रगति के पथ पर बिहार पर निबंध लिखें

शिक्षा के क्षेत्र में भी इस प्रदेश में लगातार तरक्की हो रही है। विद्यार्थियों की नवीनतम तकनीक की शिक्षा दी जा रही है जिसके फलस्वरूप यहाँ के विद्यार्थी विदेशों में भी अपने प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। बिहार के मेडिकल कॉलेजों में नवीनतम उपकरणों को विदेश से मँगाकर विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा रही है। पहले ओपन हार्ट सर्जरी तथा डायलिसिस के लिए बिहार के लोगों को अन्य प्रदेशों में जाना पड़ता था। 

लेकिन अब इन दोनों के इलाज के लिए बिहार के लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ता है। यह बिहार में उच्च शिक्षा की प्रगति का प्रतीक है। बिहार में उच्च शिक्षा की प्रगति को इस बात से भी समझा जा सकता है कि यहाँ के छात्र देश की विभिन्न उच्च प्रतियोगिता परीक्षाओं में लगातार सफलता प्राप्त कर रहे हैं।

write essay on Bihar on the path of progress

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का चहुंमुखी विकास हो रहा है। सड़कों, पुलों आदि की मरम्मत हो रही है। आवागमन के साधनों में वृद्धि हुई है। बिहार में बिजली की किल्लत को दूर करने में सरकार प्रयत्नशील है। बाढ़ से निजात पाने के लिए प्रयास हो रहे हैं। कोशी पुनर्निर्माण योजना के तहत विश्व बैंक भी काफी मदद कर रहा है।

पूर्व में बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ा हुआ था। बड़े-बड़े व्यावसायी, उद्योगपति, डाक्टर आदि अन्य प्रदेशों में पलायन कर चुके हैं। इस समस्या में भी कमी आई है। अब सरकार भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का प्रयास कर रही है।

अब उम्मीद की जाती है कि उद्योगपति, गुजरात की तरह अब बिहार में भी उद्योग लगाने हेतु काम करेंगे। किन्तु बिहार कृषि प्रधान राज्य है अत: यहाँ कृषि के विकास हेतु सरकार को काफी प्रयासरत होना पड़ेगा। तभी बिहार प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा।

Comments

Popular posts from this blog

Sagun Kavya Dhara Kya Hai | Virtuous poetry | सगुण काव्य-धारा

Sagun Kavya Dhara Kya Hai | Virtuous poetry | सगुण काव्य-धारा.  Saguna means virtue, here virtue means form. We have already known that devotion, believing in the form, shape, incarnation of God, is called Saguna Bhakti . It is clear that in the Sagun Kavadhara, the pastimes of God in the form of God have been sung. It says - Bhakti Dravid Uppji, Laya Ramanand. Sagun Kavya Dhara Kya Hai | Virtuous poetry | सगुण काव्य-धारा Ans. सगुण का अर्थ है गुण सहित, यहाँ पर गुण का अर्थ है- रूप। यह हम जान ही चुके हैं कि ईश्वर के रूप, आकार,अवतार में विश्वास करने वाली भक्ति सगुण भक्ति कहलाती है। स्पष्ट है कि सगुण काव्यधारा में ईश्वर के साकार स्वरूप की लीलाओं का गायन हुआ है। कहते हैं - भक्ति द्राविड़ ऊपजी, लाये रामानंद।'  अर्थात् सगुण भक्तिधारा या वैष्णव (विष्णु के अवतारों के प्रति) भक्ति दक्षिण भारत में प्रवाहित हुई। उत्तर भारत में इसे रामानंद लेकर आए। राम को विष्णु का अवतार मानकर उनकी उपासना का प्रारंभ किया। इसी प्रकार वल्लभाचार्य ने कृष्ण को विष्णु का अवतार मानकर उनकी उपासना का प्रारंभ किया। इ

विद्यापति का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करते हुए उनके काव्यगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालें। अथवा, विद्यापति का कवि-परिचय प्रस्तुत करें।

विद्यापति का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करते हुए उनके काव्यगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालें। अथवा, विद्यापति का कवि-परिचय प्रस्तुत करें। उपर्युक्त पद में कवि विद्यापति द्वारा वसंत को एक राजा के रूप में उसकी पूरी साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत किया गया है अर्थात् वासंतिक परिवंश पूरी तरह से चित्रित हुआ है। अपने आराध्य माधव की तुलना करने के लिए कवि उपमानस्वरूप दुर्लभ श्रीखंड यानी चंदन, चन्द्रमा, माणिक और स्वर्णकदली को समानता में उपस्थित करता है किन्तु सारे ही उपमान उसे दोषयुक्त प्रतीत होते हैं, यथा-'चंदन' सुगंधि से युक्त होकर भी काष्ठ है 'चन्द्रमा' जगत को प्रकाशित करता हुआ भी एक पक्ष तक सीमित रहता है, माणिक' कीमती पत्थर होकर भी अन्ततः पत्थर है तथा स्वर्ण-कदली लज्जावश हीनभाव के वशीभूत होकर यथास्थान गड़ी रहती है ऐसे में कवि को दोषयुक्त उपमानों से अपने आराध्य की तुलना करना कहीं से भी उचित नहीं लगता है अत: माधव जैसे सज्जन से ही नेह जोड़ना कवि को उचित जान पड़ता है। इस दृष्टि से अग्रांकित पंक्तियाँ देखी जा सकती हैं विद्यापति का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करते हुए उनके

सूरदास की भक्ति-भावना के स्वरूप की विवेचना कीजिए। अथवा, सूरदास की भक्ति-भावना की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।

सूरदास की भक्ति-भावना के स्वरूप की विवेचना कीजिए। अथवा, सूरदास की भक्ति-भावना की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।  उत्तर-'भक्ति शब्द की निर्मिति में 'भज् सेवायाम' धातु में 'क्तिन' प्रत्यय का योग मान्य है जिससे भगवान का सेवा-प्रकार का अर्थ-ग्रहण किया जाता है जिसके लिए आचार्य रामचंद्र शुक्ल श्रद्धा और प्रेम का योग अनिवार्य मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि भक्ति को प्राप्त होकर समस्त लौकिक बन्धनों एवं भौतिक जीवन से ऊपर उठ जाता है जहाँ उसे अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है। भक्ति के लक्षण की ओर संकेत करते हुए भागवतंकार कहते हैं "स वै पुंसां परोधर्मो यतोभक्ति रमोक्षजे। अहेतुक्य प्रतिहताययाऽऽत्मा संप्तसीदति।।" उपर्युक्त श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति व्यक्ति में उस भक्ति के उत्पन्न होने की अपेक्षा की गई है जिसकी निरन्तरता व्यक्ति को कामनाओं से ऊपर पहुँचाकर कृतकृत्य करती है। _ हिन्दी साहित्येतिहास में भक्तिकालीन कवि सूरदास कृष्णभक्त कवियों में सर्वाधिक लोकप्रिय और सर्वोच्च पद पर आसनस्थ अपनी युग-निरपेक्ष चिरन्तन काव्य-सर्जना की दृष्टि से अद्वितीय कवि हैं जिनके द्वारा प