Skip to main content

Vishwa cup par Nibandh Likhiye || विश्व कप पर निबंध लिखें || write essay on world cup

Vishwa cup par Nibandh Likhiye || विश्व कप पर निबंध लिखें || write an essay on world cup. विश्वकप, 2011 1983 के बाद भारत दूसरी बार क्रिकेट का विश्व चैम्पियन बना और टीम इंडिया वनडे मैचों में नम्बर वन रही। अपनी सरजमीं पर फाइनल जीतने वाला देश इंडिया है। यही नहीं, आस्ट्रेलिया (चार बार) और वेस्टइंडीज (दो बार) के बाद भारत तीसरा देश है जिसने विश्वकप कम से कम दो बार जीता। वहीं श्रीलंका लगातार दूसरी वार फाइनल गँवा बैठी।

vishwa-cup-par-nibandh-likhiye

Vishwa-cup-par-nibandh-likhiye

वानखेड़े स्टेडियम (मुम्बई) में 2 अप्रैल को खेले गए इस मैच में भारत और श्रीलंका के राष्ट्रपतियों ने मैच का लुफ्त उठाया। पहले ही ओवर में सहवाग आऊट हो गए इससे टीम इंडिया को बड़ा झटका लगा। उम्मीद की किरण सचिन तेंदुलकर भी 18 रन सात ओवर पर मलिंगा का शिकार हुए और आऊट हो गए। भारतीयों के होश गुम होने लगे। किन्तु गौतम गंभीर और धौनी की सहभागिता ने कमाल कर दिखाया।

Vishwa cup par Nibandh Likhiye

जैसे ही धौनी ने तेज गेंदबाज कुलशेखरा की गेंद पर लांग आन पर छक्का मारा पूरा देश जश्न में डूब गया। करोड़ों भारतीयों की दुआएं काम आयीं। फाइनल में राष्ट्रपति को सलामी। इसके पहले सेमीकाइनल में प्रधानमंत्री को सलामी। साथ में महान सचिन तेंदुलकर को सच्चा सलाम। सचिन का अपने गृह नगर में विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा होने का सपना पूरा हुआ। 

सचिन और सहवाग के जल्दी आउट हो जाने के बाद स्टेडियम में छाए सन्नाटे को गौतम के दम और धौनी नाबाद (91) के धमाल ने दूर कर दिया और टीम इंडिया ने अपने पड़ोसी मुल्क श्रीलंका को 6 विकट से हराकर विश्व विजय हासिल की। टीम इंडिया ने श्रीलंका द्वारा दिये गये 275 रनों के विजय लक्ष्य को 4 विकेट खोकर 48.2 ओवर में हासिल कर लिया। 

विश्व कप पर निबंध लिखें

इस जीत से न केवल वानखेड़े में बैठे राजनेता, बॉलीवुड सितारे, दर्शक बल्कि समूचा भारत झूम उठा। जीत के बाद खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रेमियों के आंखों में कहीं खुशी के और कहीं गम के आंसू थे। जीत की खुशी के साथ सभी के दिल से एक आह भी निकली कि काश शनिवार को सचिन का महा शतक और जीत की पटकथा लिखने वाले गौतम गंभीर (97) का शतक भी पूरा हो जाता।

टीम इंडिया ने अपने प्रदर्शन से जता दिया कि भारत सिर्फ व्यावसायिक दृष्टि से क्रिकेट का केन्द्र नहीं है बल्कि इस खेल में भी सर्वश्रेष्ठ है। टेस्ट में नंबर वन का रूतबा हासिल कर चुकी टीम इंडिया इस विजय से अब वनडे में भी नंबर वन हो गई। धौनी ने इस खेल के सभी वनडे कप जीतने का रिकार्ड भी बना लिया।

write essay on world cup

सचिन तेंदुलकर के लिए विश्व कप जीतने का वादा करने वाली टीम इंडिया ने जब श्रीलंका को फाइनल में हराकर इसे पूरा किया तो खिलाड़ी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके और इस चैंपियन बल्लेबाज को कंधे पर बिठाकर टीम इंडिया ने वानखेड़े स्टेडियम का चक्कर लगाया। 

धौनी ने छक्का लगाकर ज्यों ही टीम को जीत दिलायी, दूसरे छोर पर उनके साथ खड़े युवराज दौड़कर उनके गले मिले और फफक पड़े। ड्रेसिंग रूम में बैठे भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान पर दौड़कर युवी और धौनी को गले लगा लिया।

Vishwa cup par Nibandh Likhiye || विश्व कप पर निबंध लिखें || write essay on world cup

हरभजन सिंह हो या सचिन तेंदुलकर या फिर पहला विश्व कप खेल रहे विराट कोहली, सभी की आँखों में खुशी के आंसू थे। युसूफ पठान, सुरेश रैना और विराट कोहली ने मिलकर सचिन को कंधे पर उठा लिया और पूरी टीम ने 'सचिन सचिन' चिल्लाते हुए वानखेड़े स्टेडियम का चक्कर लगाया। 

विराट ने कहा, 'इस चैंपियन खिलाड़ी ने 21 साल तक देश की उम्मीदों का बोझ उठाया है और आज हमारी बारी थी उन्हें कंधे पर उठाकर सम्मान देने की।' गौतम गंभीर ने कहा, 'हम सभी की आंखों में खुशी के आंसू हैं। हमने 2007 विश्व कप में खराब खेला था, लेकिन आज जीतने का सपना सच हो गया। इस प्रकार विश्व कप जीतने का सचिन का सपना पूरा हुआ।


Comments

Popular posts from this blog

Sagun Kavya Dhara Kya Hai | Virtuous poetry | सगुण काव्य-धारा

Sagun Kavya Dhara Kya Hai | Virtuous poetry | सगुण काव्य-धारा.  Saguna means virtue, here virtue means form. We have already known that devotion, believing in the form, shape, incarnation of God, is called Saguna Bhakti . It is clear that in the Sagun Kavadhara, the pastimes of God in the form of God have been sung. It says - Bhakti Dravid Uppji, Laya Ramanand. Sagun Kavya Dhara Kya Hai | Virtuous poetry | सगुण काव्य-धारा Ans. सगुण का अर्थ है गुण सहित, यहाँ पर गुण का अर्थ है- रूप। यह हम जान ही चुके हैं कि ईश्वर के रूप, आकार,अवतार में विश्वास करने वाली भक्ति सगुण भक्ति कहलाती है। स्पष्ट है कि सगुण काव्यधारा में ईश्वर के साकार स्वरूप की लीलाओं का गायन हुआ है। कहते हैं - भक्ति द्राविड़ ऊपजी, लाये रामानंद।'  अर्थात् सगुण भक्तिधारा या वैष्णव (विष्णु के अवतारों के प्रति) भक्ति दक्षिण भारत में प्रवाहित हुई। उत्तर भारत में इसे रामानंद लेकर आए। राम को विष्णु का अवतार मानकर उनकी उपासना का प्रारंभ किया। इसी प्रकार वल्लभाचार्य ने कृष्ण को विष्णु का अवतार मानकर उनकी उपासना का प्रारंभ किया। इ

विद्यापति का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करते हुए उनके काव्यगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालें। अथवा, विद्यापति का कवि-परिचय प्रस्तुत करें।

विद्यापति का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करते हुए उनके काव्यगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालें। अथवा, विद्यापति का कवि-परिचय प्रस्तुत करें। उपर्युक्त पद में कवि विद्यापति द्वारा वसंत को एक राजा के रूप में उसकी पूरी साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत किया गया है अर्थात् वासंतिक परिवंश पूरी तरह से चित्रित हुआ है। अपने आराध्य माधव की तुलना करने के लिए कवि उपमानस्वरूप दुर्लभ श्रीखंड यानी चंदन, चन्द्रमा, माणिक और स्वर्णकदली को समानता में उपस्थित करता है किन्तु सारे ही उपमान उसे दोषयुक्त प्रतीत होते हैं, यथा-'चंदन' सुगंधि से युक्त होकर भी काष्ठ है 'चन्द्रमा' जगत को प्रकाशित करता हुआ भी एक पक्ष तक सीमित रहता है, माणिक' कीमती पत्थर होकर भी अन्ततः पत्थर है तथा स्वर्ण-कदली लज्जावश हीनभाव के वशीभूत होकर यथास्थान गड़ी रहती है ऐसे में कवि को दोषयुक्त उपमानों से अपने आराध्य की तुलना करना कहीं से भी उचित नहीं लगता है अत: माधव जैसे सज्जन से ही नेह जोड़ना कवि को उचित जान पड़ता है। इस दृष्टि से अग्रांकित पंक्तियाँ देखी जा सकती हैं विद्यापति का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करते हुए उनके

सूरदास की भक्ति-भावना के स्वरूप की विवेचना कीजिए। अथवा, सूरदास की भक्ति-भावना की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।

सूरदास की भक्ति-भावना के स्वरूप की विवेचना कीजिए। अथवा, सूरदास की भक्ति-भावना की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।  उत्तर-'भक्ति शब्द की निर्मिति में 'भज् सेवायाम' धातु में 'क्तिन' प्रत्यय का योग मान्य है जिससे भगवान का सेवा-प्रकार का अर्थ-ग्रहण किया जाता है जिसके लिए आचार्य रामचंद्र शुक्ल श्रद्धा और प्रेम का योग अनिवार्य मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि भक्ति को प्राप्त होकर समस्त लौकिक बन्धनों एवं भौतिक जीवन से ऊपर उठ जाता है जहाँ उसे अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है। भक्ति के लक्षण की ओर संकेत करते हुए भागवतंकार कहते हैं "स वै पुंसां परोधर्मो यतोभक्ति रमोक्षजे। अहेतुक्य प्रतिहताययाऽऽत्मा संप्तसीदति।।" उपर्युक्त श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति व्यक्ति में उस भक्ति के उत्पन्न होने की अपेक्षा की गई है जिसकी निरन्तरता व्यक्ति को कामनाओं से ऊपर पहुँचाकर कृतकृत्य करती है। _ हिन्दी साहित्येतिहास में भक्तिकालीन कवि सूरदास कृष्णभक्त कवियों में सर्वाधिक लोकप्रिय और सर्वोच्च पद पर आसनस्थ अपनी युग-निरपेक्ष चिरन्तन काव्य-सर्जना की दृष्टि से अद्वितीय कवि हैं जिनके द्वारा प