Nirbal ko na sataiye निर्बल को न सताइये मुहावरे का अर्थ।
सभी प्राणी ईश्वर के अंश हैं। ईश्वर सबके अंदर वास करते हैं। ईश्वर से अलग किसी का भी कोई अस्तित्व नहीं है। मनुष्य का सबल-दुर्बल होना उसके अपने वश में नहीं होता है। अपितु मनुष्य के अपने प्रारब्ध की बात होती है, उसके अपने कर्मों का फल होता है यही कारण है कि कोई सबल होता है तो कोई निर्बल। यों तो जीवमात्र को सताना ही पाप है फिर निर्बल को सताना और भी बड़ा पाप है क्योंकि निर्बल तो पूर्व से ही परिस्थितियों द्वारा सताया जा चुका रहता है फिर उसे मनुष्य सताये तो यह ईश्वर को क्लेष पहुँचाना होगा इसीलिए यह कहावत निर्बल को सताने वालों पर पूर्णतः चरितार्थ होती है कि-'निर्बल को न सताइये।
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