Women empowerment essay in Hindi महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में
जाता है वहीं पर देवता निवास करते हैं। कोई भी परिवार, समाज तथा राष्ट्र तब तक सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव निरादर व हीनभाव का त्याग नहीं करता हैं।
नारी का स्थान:- जिस समाज में नारी का स्थान सम्मानजनक होता है, वह उतना ही प्रगतिशील और विकसित होता है। परिवार और समाज के निर्माण में नारी का स्थान सदैव ही महत्वपूर्ण रहा
प्राचीन काल में नारी की स्थिति:-
है।जब समाज सशक्त और विकसित होता है तब राष्ट्र मजबूत होता है। इस प्रकार एक सशक्त राष्ट्र निर्माण में नारी केंद्रीय भूमिका निभाती है।माता के रूप में नारी एक बालक की प्रथम गुरु होती है। प्राचीन काल में नारी की स्थिति:- भारतीय समाज में वैदिक काल से ही नारी का स्थान बहुत ही सम्मानजनक था और हमारा अखंड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना ही जाता है।
किंतु कालांतर में नारी की स्थिति का ह्रास हुआ मध्यकाल आतेआते यह स्थिति अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई।क्योंकि अंग्रेज का मकसद भारत पर शासन करना था ना कि भारत की रितिरिवाजों, मानताओं और समाज सुधार करना था। इसलिए ब्रिटिश शासन काल में भारतीय नारियों की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ।अपवाद के रूप में कुछ छोटी-मोटी पहले जरूर हुई पर इसका कोई विशेष असर नारी के स्थित पर नहीं पड़ा।
नारियों की दशा में भी परिवर्तन
प्राचीन काल में नारी को विशिष्ट सम्मान एवं पूजनीय दृष्टि से -देखा जाता था।सीता, सावित्री, अनुसूया, गायत्री आदि अनगिनत भारतीय नारियों ने अपना विशिष्ट स्थान सिद्ध किया है। - मध्यकाल में नारी की स्थिति:- कालांतर में देश पर हुई अनेकों आक्रमण के पश्चात भी भारतीय -नारियों की दशा में भी परिवर्तन आने लगा।नारी के स्वयं की विशिष्टता एवं समाज में स्थान हीन होता चला गया। अंग्रेजी
शासन काल के आते-आते भारतीय नारियों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई। उसे अबला की संज्ञा दी जाने लगी तथा दिनप्रतिदिन उसे उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता। आजादी के बाद ऐसा सोचा गया था कि भारतीय नारी एक नई हवा में सांस लेंगी और शोषण तथा उत्पीड़न से मुक्त होंगी किन्तु ऐसााआजादी के बाद कानूनी स्तर पर नारी की स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास तो खूब हुए किंतु सामाजिक स्तर पर जो
सुधार आना चाहिए वह परिलक्षित नहीं हुआ, जिसका मुख्य कारण रहा हमारे पुरुष प्रधान मानसिकता जिसमें हमने कहीं पर लाभ नहीं कर पाया और नारी के प्रति हमारा रवैया दोयम दर्जे का रहा। यही कारण है कि वैदिक काल में जो नारी शीर्ष पर रही आज उनके सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हो रही है।
अंग्रेजी शासनकाल में भी रानी लक्ष्मीबाई, चांदबीबी जैसे कई भारतीय नारियां अपवाद थी।
आजादी के बाद भारत में नारी की स्थिति
जिन्होंने सभी परंपराओं से ऊपर उठकर इतिहास के पन्नों में अपना एक विशेष स्थान बनाया। स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय नारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजादी के बाद भारत में नारी की स्थिति:भारतीय नारी के साथ विरोधाभास की स्थिति सदैव रही है। पहले भी थी, आज भी है। हमारे प्रार्थना धर्म ग्रंथों में यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमते तत्र देवता" सूत्र वाक्य द्वारा यह स्पष्ट करने का
ना होने के कारण महिलाओं को अधिकतर हिंसा का सामना करना पड़ता है। इसलिए भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत है। भारत में महिला सशक्तिकरण विभिन्न पहलुओं पर निर्भर करता है जैसे भौगोलिक (शहारा, ग्रामीण, स्तर), शिक्षा, जाति, आयु, वर्ग इत्यादि। भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय,राज्य और स्थानीय स्तर पर बहुत से कानून, कार्यक्रम
Women empowerment essay in Hindi
प्रयास किया गया है कि जहां नारी को पूजनीय होती हैं, वहां देवता निवास करते हैं। देश में जहां एक तरफ लक्ष्मी, सीता, दुर्गा ,पार्वती के रूप में नारी को देवी तुल्य माना जाता है। वहीं उन्हें अबला बता कर परंपरा एवं रूढियों की बेड़ियों में भी जकड़ा जाता है।भारत में विशेष रूप से निम्न जातियों की महिलाएं जैसे अनुसूचित जातियां, पिछड़ी जातियां, आदिवासी समुदाय की महिलाएं विशेष रुप से असुरक्षित हैं। अशिक्षित और निर्णय लेने की क्षमता
संगठन मौजूद हैं जो महिलाओं को जागरूक करते है। उन्हें इस काबिल बना रहे हैं कि वह अपने और अपने परिवार, समाज और देश से जुड़े निर्णय ले सकेाअपने अधिकारों के लिए लड़ सके और अपने ऊपर हो रही हिंसा पर रोक लगा सकेाभारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण को बल देने के लिए कई योजनाएं चालू की गई जैसे अबला, जननी सुरक्षा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना ,लाडली , बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और तेजस्विनी जैसी कई
योजनाओं का सफल संचालन किया जा रहा है। राज्य सरकारों के द्वारा भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
नारी सशक्तिकरण में होने वाली बाधाएं
नारी सशक्तिकरण में होने वाली बाधाएं:भारतीय समाज ऐसा समाज है जिसमें कई तरह के रीति-रिवाज, मान्यताएं, परंपराएं शामिल है।यही कुछ परंपराएं महिला सशक्तिकरण के रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी समस्याएं हैं। पुरानी विचारधारा के कारण महिलाओं को उनके घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती।
जिसके कारण रोजगार तो दूर की बात है वह उचित शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर सकती हैं और इसी विचारधारा के कारण वह अपने आपको हमेशा पुरुषों से कम समझती है। भारत में केवल 64.6 प्रतिशत महिला शिक्षा दर है जबकि पुरुष शिक्षा दर 80.9 प्रतिशत है। आजकल कुछ परिवार लड़कियों को स्कूल तो भेजते हैं लेकिन आठवीं, दसवीं कक्षा पास करने के बाद उनकी पढ़ाई छुड़वा दी जाती है ताकि वह घर की चारदीवारी में रहकर घर के काम सीख सकें।
Women's upliftment
नारी का उत्थान :- वर्तमान समय में
Women empowerment के लिए जन जन तक यह संदेश जाना जरूरी है कि महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। आज महिलाओं को राजनैतिक, सामाजिक,शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षेत्र में उनके परिवार समुदाय समाज एवं राष्ट्र की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करने की आवश्यकता है।
Promote women empowerment नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा
नारी को सशक्त बनाए बगैर हम मानवता को सशक्त नहीं बना सकते।
संवेदना, करुणा, वात्सल्य,ममता, प्रेम, विनम्रता, सहनशीलता आदि नारी के वह गुण है, जिससे वह मानवता को निखार और संवारकर उसे मजबूत रूप से सशक्त बना सकती हैं। इसके लिए अति आवश्यक यह है कि महिलाओं का सम्मान हो और हर क्षेत्र के समान भागीदारी हो। महिलाओं को हर संभव प्रयास किया जाए कि वे साक्षर बने और हर
क्षेत्र में उनके नेतृत्व भावनाओं को प्रोत्साहन देते हुए महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जाए।महिलाओं पर हो रही हिंसा का अन्त हो और उन्हें शांति, सुरक्षा और विकास की हर एक पहलुओं में शामिल किया जाए।हर राष्ट्र को यह चाहिए कि महिलाओं को आर्थिक विकास एवं सामाजिक विकास योजना में महिलाओं को शामिल किया जाए। हर राष्ट्र" जेंडर बजटिंग" प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिसकी पहल भारत में हो चुकी है।
Epilogue उपसंहार:-
उपसंहार:- महिला सशक्तिकरण आज के समय की जरूरत है। क्योंकि इसी सशक्तिकरण की वजह से महिलाओं में हो रही प्रगति भी देश के विकास के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। इसलिए देश के सभी छोटे बड़े क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। इसलिए देश के सभी छोटे बड़े क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। जिसके लिए सभी महिलाओं को समाज से डर कर नहीं बल्कि झाँसी की रानी की
तरह एक योद्धा बनकर आगे आना चाहिए । क्योंकि झाँसी की रानी वो योद्धा,थी जो एक स्त्री होकर भी जिन्होंने अंग्रेजों के गुलामी के खिलाफ आवाज उठाया था। जिसमे इसी महिला ने पूरे देश को उस स्वतंत्र संग्राम में एक किया था।
Comments