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Importance of Guru Purnima, Recognition, Worship Method In Hindi

Importance of teacher, Importance of guru purnima, Recognition of Guru Purnima, Guru Purnima Worship Method, Precautions on the day of Guru Purnima. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। 

इसे पूरे भारतवर्ष में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है आने वाली पीढ़ी को गुरु और शिक्षक का महत्व बताने के लिए यह एक आदर्श पर्व है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है, 

Importance of Guru Purnima, Recognition, Worship Method In Hindi

इस दिन चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता ऋषि वेदव्यास का पूजन किया जाता है। आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे गुरु का महत्व, गुरु पूर्णिमा का महत्व, गुरु पूर्णिमा की मान्यता, गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि, गुरु पूर्णिमा के दिन सावधानियां।
  • Importance of teacher गुरु का महत्व।
गुरु के बारे में कबीर साहब का एक दोहा है जिसमें बहुत अच्छी बात कही गई है। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए। इसका मतलब है कि गुरु और भगवान एक साथ खड़े हैं तो किसे प्रणाम करना चाहिए उनका कहना है कि गुरु के श्री चरणों में शीश झुकाना उत्तम है क्योंकि गुरु की कृपा से ही गोविंद के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। 

Importance of guru purnima

  • Importance of guru purnima गुरु पूर्णिमा का महत्व। 
गुरु को ब्रह्मा भी कहा गया है गुरु अपने शिष्य को शिक्षा देकर उसे एक नया जन्म देते हैं। गुरु अपने शिष्यों के सभी दोसों को माफ करते हैं गुरु का महत्व सभी दृष्टि से सकारात्मक है। सही मायने में जो व्यक्ति हमें कुछ नया सिखाता है या हमारा मार्गदर्शन करता है वह हमारा गुरु बन जाता है इसलिए हमें उसका सम्मान जरूर करना चाहिए।

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  • Recognition of Guru Purnima. गुरु पूर्णिमा की मान्यता।
ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु वेदव्यास का जन्म हुआ था और उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरु पूजन के बाद गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। 

क्योंकि गुरु का आशीर्वाद सभी के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक होता है। इस दिन अपने माता-पिता, बड़े भाई बहन, की पूजा का भी विधान होता है। व्यक्ति का प्रथम गुरु माता पिता बड़े भाई बहन आदि ही होते हैं क्योंकि शिक्षा की शुरुआत तो उन्हीं से होती है। 

Guru Purnima Worship Method

  • Guru Purnima Worship Method. गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि।
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी स्थान आदि कामों से निवृत्त होकर गुरु के चित्र को या गुरु को एक उचित आसन पर बैठा कर पुष्प माला पहना है। इसके बाद वस्त्र, फल, फूल, माला अर्पण करने के साथ-साथ धन भी भेंट करें।

इस दिन माता पिता, बड़े भाई बहन आदि की पूजा करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास जी द्वारा रचित ग्रंथों का मन से उनके उपदेशों का पालन करना चाहिए।

भविष्य पुराण के अनुसार पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्थान पर नदी में स्नान करना अच्छा होता है। या फिर जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए इस दिन पितरों को तरपान करना बहुत शुभ माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान करने से भी अधिक पुण्य मिलता है। 

Importance of Guru Purnima, Recognition, Worship Method In Hindi

  • Precautions on the day of Guru Purnima. गुरु पूर्णिमा के दिन सावधानियां।

गुरु पूर्णिमा को पूरी श्रद्धा से मनाना चाहिए इसको अंधविश्वास के आधार पर नहीं मनाना चाहिए। कभी किसी का अनादर नहीं करें। बड़े बुजुर्गों और गुरुओं का सम्मान करें। 

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु ब्राह्मणों और गरीबों को दान देने में निस्वार्थ भाव रखें। सबसे महत्वपूर्ण बात अगर आप शुभफल पाना चाहते हैं तो अपने कर्मों को अच्छा बनाए रखना भी बहुत जरूरी। होगा 

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