जायसी, भूषण, घनानंद प्रश्न-1. जायसी का संक्षिप्त जीवन-वृत प्रस्तुत करें। Jaisi, Bhushan, Ghananand Question-1. Present a brief biography of Jayasi.
उत्तर-जायसी का पूरा नाम मल्लिक मुहम्मद जायसी है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश राज्यान्तर्गत जायस नगर के मुहल्ले कंचाने में सन् 1540 ई० में तथा निधन सन् 1542 ई० में होना मान्य है। उनका जायसी नाम स्थानवाचक और उनका मलिंक नाम उपाधिस्वरूप है। वे सूफी फकीर थे। अपनी जन्मभूमि को लेकर उनकी स्वीकारोक्ति है – 'जायस नगर मोर अस्थानू।' उनके पिता शेख मुमरेज को धर्मग्रंथों एवं पीरो-फकीरों के प्रति
अगाध श्रद्धा थी। अपने माता-पिता के निधनोपरांत बालक जायसी साधु-फकीरों का सन्निध्य प्राप्त होने के कारण आध्योत्मोन्मुख हुये। शेख मुबारक शाह बोदले उनकी दीक्षा-गुरु हुये। शेख मुहीउद्दीन उनके दूसरे गुरु हुये। कहना नहीं होगा कि उन्होंने अपनी रचनाओं में अन्तस्साधना पर ही विशेष बल दिया।
जायसी, भूषण, घनानंद प्रश्न-1. जायसी का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करें। Jaisi, Bhushan, Ghananand Question-1. Present a brief biography of Jayasi.
प्रश्न-2. जायसी का कवि-परिचय प्रस्तुत करें।
उत्तर-जायसी भक्तिकाल की निर्गुण काव्य-धारा के प्रेममार्गी कवियों में अग्रगण्य हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में जिस आध्यात्मिक तत्व को व्यंजित किया है वह सूफी मत के अनुरूप है जिसमें प्रेमाभिव्यक्ति को विशेष महत्व प्राप्त है। इस प्रेमाभक्ति के लिए ही उन्होंने हिन्दुओं की प्रेमगाथाओं का आधार ग्रहण किया। उन्होंने ईश्वर तक पहुँचने के लिए प्रेम को साधनस्वरूप स्वीकार किया और प्रेम की यही साधना उनकी काव्य-साधना है जिसमें उनके द्वारा हकीकत यानी परम सत्य को प्राप्त करने का उपक्रम किया गया है। उन्होंने अनेक कृतियों की रचना की है, यथा पद्मावत, अखरावट, मटकावत आदि। 'पद्मावत' उनका बहुपठित लोकप्रिय काव्य-ग्रंथ है जिसमें कवि द्वारा इतिहास प्रसिद्ध कथा को कल्पना का संस्पर्श देकर रसाभिव्यक्ति में पूर्ण सफलता प्राप्त की गई है। उनकी काव्य-भाषा अवधी है।
प्रश्न-3. भूषण का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करें।
उत्तर- भूषण का मूल नाम अज्ञात है। उन्हें अपने भूषण नाम से ही काफी ख्याति प्राप्त है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के वर्तमान औद्योगिक नगर कानपुर जिले के तिकवाँपुर में वि० सं. 1670 तथा निधन वि० सं० 1722 में होना मान्य है। मतिराम और चिन्तामणि उनके भाई बताये जाते हैं। कहा जाता है कि उन्हें भूषण उपाधि चित्रकूटपति रुद्र सोलंकी के राज्याश्रय में रहते हुए ही प्राप्त हुई थी। कालान्तर में उन्हें महाराज छत्रसाल और शिवाजी का राज्याश्रय प्राप्त हुआ जहाँ रहकर उन्होंने अपनी वीररसात्मक रचनाओं से सर्वाधिक ख्याति प्राप्त हुई।
प्रश्न-4. भूषण का कवि-परिचय प्रस्तुत करें।
उत्तर- भूषण ने रीतिकालीन कवि होकर भी अपनी ख्याति वीररस के अद्वितीय कवि के रूप में प्राप्त की। अपनी रचनाओं में उन्होंने एक ओर अपने आश्रयदाता महाराजा शिवाजी के प्रति श्रद्धा प्रकट की है और उन्हें हिन्दुबाना का रक्षक और शिवावतार बताते हुए उनका यशोगान किया है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं में छत्रसाल का भी शौर्य और तेज वर्णित हुआ है। उनकी उपलब्ध कृतियों में शिवराजभूषण, शिवाबावनी और छत्रसाल दशक हैं।
प्रश्न-5. घनानंद का संक्षिप्त जीवन-वृत्त प्रस्तुत करें।
उत्तर-घनानंद का पूरा नाम घनानंद ठाकुर है। उनका जन्म दिल्ली में वि० सं० 1746 के लगभग तथा निधन वि० सं० 1796 के लगभग होना मान्य है। वे भटनागर कायस्थ जाति के थे। एसी किंवदन्ती है कि वे किसी सुजान नाम की वेश्या के प्रति आसक्त थे जिसके द्वारा उपेक्षा किये
13 जाने पर वे कृष्णोन्मुख हुये थे जबकि अपने आश्रयदाता द्वारा दी गई दिल्ली से निकालने की सजा उन्हें ही भुगतनी पड़ी थी। तत्पश्चात निम्बार्क सम्प्रदाय में दीक्षा लेकर वृन्दावन में रहते हुए वे आजीवन भगवद् भक्ति में लगे रहे।
प्रश्न-6. घनानंद का कवि-परिचय प्रस्तुत करें।
उत्तर-घनानंद रीतिकालीन कवियों में रीतिमुक्त कवि के रूप में ख्यात हैं। अपनी रचनाओं में उन्होंने शृंगार भावना और भक्ति-भावना की अभिव्यक्ति की है। उनके काव्य में प्रेम की पीर को जैसी वाणी मिली है वैसी अन्यत्र नहीं।
उन्होंने कहा भी है कि, "समुझै कविता घनानंद की आँखिन नेह की पीरतकी।"
उनकी कृतियों में 'सुजान सागर' सर्वाधिक प्रसिद्ध है अन्य कृतियों में विरह लीला, कोकसार आदि प्रमुख हैं। उनकी काव्य-भाषा ब्रजभाषा है।
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